वर्ण विचार (Phonology) किसे कहते हैं

वर्ण विचार (Phonology) Varn Vichar in Hindi Grammar

व्याकरण ( वि+आ+करण) का अर्थ विशेष रूप से आख्यान कराता होता हैं।‘व्याकरण’ को किसी भाषा के लिखित और बोल-चाल के रूपों का यथार्थत: समझाने वाला शास्त्र कहते हैं। इसमें शब्दों के शुद्ध और प्रयोग के नियमों का निरूपण होता हैं।

मनुष्य अपने भावों, विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए भाषा का प्रयोग करता हैं।भाषा कि सब से छोटी इकाई को ध्वनि या वर्ण कहते हैं।

वर्णमाला में वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं।

हिन्दी वर्णमाला में उच्चारण के आधार पर वर्णों कि संख्या 45 होती हैं। जबकि वर्णमाला में कूल 52 अक्षर हैं।

                                  वर्णमाला
अं अ:

हिन्दी वर्णमाला में उच्चारण के आधार पर वर्णों कि संख्या 45 होती हैं।

स्वर 

जिन वर्णों का उच्चारण करने से श्वास मुख से कंठ, तालु आदि स्थानों से बिना किसी बाधा के निकलती हैं। अर्थात् स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण ‘स्वर’ कहलाते हैं।

स्वर: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ,(ऋ), ए, ऐ, ओ, औ

अनुस्वार : अं

विसर्ग : अ:

व्यंजन

जिन वर्णों का उच्चारण करते समय श्वास मुख के कंठ, तालु आदि स्थानों से अबाध गति९ से नहीं निकलती हो उसे व्यंजन कहते हैं। अर्थात् जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वरों कि सहायता ली जाती है उन्हें व्यंजन कहते हैं।

स्पर्श व्यंजन- जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिव्हा का कोएई न कोएई भाग मुख के किसी न किसी भाग से स्पर्श करता है, स्पर्श व्यंजन कहलाते हैं। ‘क’ से लेकर ‘म’ तक 25 व्यंजन स्पर्श है इन्हें पाँच-पाँच के वर्गों में विभाजित किया गया है-

क वर्ग   –   क ख ग घ ङ      (कण्ठ्य व्यंजन)

च वर्ग   –   च छ ज झ अ     (तालव्य व्यंजन)

ट वर्ग   –   ट ठ ड ढ ण ड़ ढ़   (मूर्धन्य व्यंजन)

त वर्ग   –   त थ द ध न      (दन्त्य व्यंजन)

प वर्ग   –   प फ ब भ म      (ओष्ठ्य व्यंजन)

  • अंतस्थ व्यंजन– वे वर्ण जिनके उच्चारण में वायु मुख में घुमड़कर बाहर निकलती है, अंतस्थ व्यंजन कहलाते हैं। ये कुल चार है, जैसे-(य, र, ल, व)
  • ऊष्म व्यंजन-ये वर्ण जिनके उच्चारण में वायु घर्षण करती हुई बाहर निकलती है, उष्म व्यंजन कहलाते हैं। ये कुल चार है. जैसे-शु, ष्, स्, ह।
  • उत्क्षिप्त व्यंजन- जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा की उल्टी हुई नोक तालु को छूकर झटके से हट जाती है उन्हें उत्क्षिप्त व्यंजन कहते हैं इू, द उत्क्षिप्त व्यंजन है।
  • संयुक्त व्यंजन- वे वर्ण जो दो व्यंजन के मेल से बने है, संयुक्त व्यजन कहलाते है। ये कुल चार है. जैसे-

क्ष   =     क्    +     ष     (K-SH)

त्र    =     त्     +     र     (T-RA)

ज्ञ   =     ज्    +     ञ     (J-YN)

श्र    =     श्     +     र     (SH-R)

  • कण्ठ्य व्यंजन-जिन व्यंजन ध्वनियों के उच्चारण में जिला के पिछले भाग से तालुका स्पर्श होता है, उसे कण्ठ्य ध्वनियाँ कहते हैं।
  • तालव्य व्यंजन- जिन व्यजनों के उच्चारण में जिह्वा का अग्र भाग तालु को स्पर्श करता है, तालव्य व्यंजन कहलाते है।
  • मूर्धन्य व्यंजन-तालू के मध्य भाग को मुर्द्धा कहते है। जिला के निचले भाग के मुर्द्धा को स्पर्श करने पर जो ध्वनि उत्पन्न होती है उन्हें मूर्धन्य व्यंजन कहते है।
  • दन्त्य व्यंजन-जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिव्हा की नोक ऊपरी दाँतों को स्पर्श करती है, उन्हें दन्त्य व्यंजन कहते है।
  • ओष्ठ्य व्यंजन-जिन व्यंजनों के उच्चारण में दोनों ओओं द्वारा श्वास का अवरोध होता है, ओष्ठ्य व्यंजन कहलाते हैं।

वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ

हिन्दी भाषा मे, उच्चारण का विशेष महत्व होता है, क्योंकि हिन्दी एक ध्वन्यात्मक भाषा है। यह जिस प्रकार बोली जाती है, उसी तरह लिखी जाती है। यदि हमारा उच्चारण अशुद्ध है, तो उसे लिखा भी अशुद्ध हो जाएगा।

भाषा कि सुंदरता उसके गठन और उच्चारण की शुद्धतापर निर्भर करती हैं। हिन्दी भाषा मे वर्तनी सम्बंधित विभिन्न प्रकार की अशुद्धियाँ होती है-

(1) स्वर एंव मात्रा सम्बंधी अशुद्धियाँ

(2) अनुस्वार एंव चन्द्र बिंदु सम्बंधी अशुद्धियाँ

(3) हलन्त सम्बंधी अशुद्धियाँ

(4) संधि सम्बंधी अशुद्धियाँ

(5) विसर्ग (:) सम्बंधी अशुद्धियाँ

(6) उच्चारण सम्बंधी अशुद्धियाँ

(1) स्वर एंव मात्रा सम्बंधी अशुद्धियाँ

अहार आहार
छमा क्षमा
आधीन अधीन
तिथी तिथि

(2) अनुस्वार एंव चन्द्र बिंदु सम्बंधी अशुद्धियाँ

बांह  बाँह
गांधी  गाँधी
जहां जहाँ
चन्चल चंचल

(3) हलन्त सम्बंधी अशुद्धियाँ

दृश्यमान दृश्यमान्
भविष्य भविष्य्
पृथक पृथक्
च्युत च्युत्

(4) संधि सम्बंधी अशुद्धियाँ

इतिपूर्व इत:पूर्व
पुष्पवली पुष्पवाली
उपरोक्त उपर्युक्त
निरोपम निरुपम

 (5) विसर्ग (:) सम्बंधी अशुद्धियाँ

प्राय प्राय:
दुख दु:ख
निस्वार्थ नि:स्वार्थ
पुन पुन:

 (6) उच्चारण सम्बंधी अशुद्धियाँ

रितु ऋतु
व्रक्ष वृक्ष
उरिण उष्ण
ग्रहस्थी गृहस्थी

 

Important Topics Of Hindi Grammar (Links)
हिन्दी भाषा का विकास वर्ण विचार संधि
शब्द विचार संज्ञा सर्वनाम , विशेषण
क्रिया लिंग वचन
कारक काल पर्यायवाची शब्द
विलोम शब्द श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द एकार्थी शब्द
अनेकार्थी शब्द उपसर्ग एंव प्रत्यय समास
वाक्य वाक्यांश के लिए एक शब्द वाच्य
मुहावरे एंव लकोक्तियाँ अलंकार रस
छंद अव्यय
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