शब्द विचार Etymology किसे कहते हैं

शब्द Shabad Vichar (Etymology) विचार क्या है ?

शब्द (Etymology)

निश्चित अर्थ प्रकट करने वले स्वतंत्र वर्णों के समूह को शब्द कहते हैं; जैसे- दुकान, किताब, मेला, बाज़ार, पुस्तकालय आदि। वर्णों के समूह को तभी शब्द कहा जा सकता हैं, जब उसका पृथक रूप से कोई अर्थ ना हो।

व्यवहार में दो तरह के शब्दों का भी प्रयोग होता है-सामान्य शब्द तथा तकनीकी शब्द। जो शब्द सामान्य रूप में दैनिक जीवन में बोल-चाल के रूप में प्रयुक्त होते हैं, वे सामान्य शब्द होते हैं, जबकि वे शब्द जो किसी विशेष विषय, यथा विज्ञान, व्यवसाय इत्यादि में प्रयुक्त होते हैं और उनके विशेष अर्थ भी निकलते हैं, तकनीकी शब्द कहलाते हैं।

शब्द भेद

रचना के आधार पर शब्द-भेद

रूढ़ शब्द- जो शब्द एक अर्थ विशेष या वस्तु विशेष के लिए प्रयुक्त हो या जो अपने मूल रूप में व्यवहार में लाये जायें। जैसे-कुर्सी, फूल आदि। ‘कुर्सी’ कहते ही हमारे दिमाग में चार पाँव वाली वह चीज, जिस पर बैठा जा सकता है, घूम जाती है।

यौगिक शब्द- जो शब्द दो या अधिक शब्दों के मेल से तो बने हों उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं। जैसे-हिम + आलय = हिमालय, प्रधान + मंत्री = प्रधानमंत्री।

योगरूढ़ शब्द- जो शब्द दो शब्दों के मेल से तो बने हैं परन्तु किसी अन्य अर्थ विशेष का बोध करवाते हैं, एक निश्चित अर्थ के लिये प्रयुक्त हैं, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं। उदाहरणार्थ- चारपाई अर्थात् चार पाये हैं जिसके। यहाँ चारपाई का अर्थ खाट से है न कि गाय, कुर्सी आदि से। इस प्रकार इन शब्दों में योग भी हुआ और निश्चित अर्थ रूढ़ भी हो गया।

जिस वर्ण समूह से कोई निश्चित अर्थ न निकले उसे शबद नहीं कहा जा सकता। जैसे ‘कानम’ कोई शबद नहीं हैं लेकिन इसे व्यवस्थित कर दिया जाए तो मकान बन जाता हैं। जिस प्रकार किसी भवन के निर्माण में ईटों की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार वाक्यों को बनने में व्यवस्थित वर्ण रूपी ईटों की आवश्यकता होती है।

उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद

हिन्दी भाषा में प्रयुक्त किये जाने वाले अधिकांश शब्दों का उद्गम सस्कृत स माना जाता है। जिनमें से कुछ शब्द हिन्दी में अपनी गरिमा तदनुरूप ही बनाये हुए हैं जिन्हें तत्सम के नाम से जाना जाता है। उन शब्दों को देखकर सहज ही पता लगाया जा सकता है कि वे संस्कृत के किस शब्द से बने हैं। वे । मूल रूप से संस्कृत के जिस शब्द से बनते हैं। उसे ही तद्भव कहा जाता है। ज्ञान के अभाव और इन्हीं अशुद्धियों के कारण ही हम शुद्ध हिन्दी के ज्ञान से वंचित रह जाते हैं।

संस्कृत भाषा देवों की भाषा है। इस भाषा के शब्द प्रयोगों का व्याख्यान प्राचीन महर्षियों ने किया है। संस्कृत के अतिरिक्त जिन भाषाओं का व्यवहार होता है, वे प्राकृत हैं।

  1. तत्सम-संस्कृत भाषा के वे शब्द जो हिन्दी में ज्यो के त्यो प्रयुक्त होते हैं, तत्सम् शब्द कहलाते हैं। तत्सम शब्द का शाब्दिक अर्थ है उसके समान अर्थात् अपने मूल स्रोत संस्कृत के समान उदाहरणतया-अंधकार, आश्चर्य, अमावस्या, अर्क, कण्टक, कूप, कृष्ण, आश्रय आदि।

कुछ संस्कृत शब्द ऐसे हैं जिन्हें आज की आवश्यकतानुसार, संस्कृत शब्दों में संस्कृत के उपसर्ग या प्रत्यय लगाकर बना लिया गया है। उन्हें भी तत्सम शब्द कहा जाता है।

  1. तद्भव-तद्भव का अर्थ है-उससे उत्पन्न’ अर्थात् जो शब्द संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश के दौर से गुजरकर, वक्त के साथ-साथ परिवर्तित होकर हिन्दी में प्रचलित हैं, वे तद्भव कहलाते हैं।

उदाहरण- अन्यत्र शब्द परिवर्तित होते हुए अनत बन गया है,कच्छप कछुआ बन गया है।कुक्कर कुत्ता बन गया है। इसी तरह से बहुत से शब्द हिन्दी में प्रचलित है।

विशेष-
अर्द्ध-तत्सम शब्द-संस्कृत से वर्तमान स्थायी तद्भव तक पहुँचने के मध्य संस्कृत के टूटे-फूटे स्वरूप का जो प्रयोग किया जाता है, उसे अर्द्ध-तत्सम कहा जाता है, जैसे-अगिन या अगि। यह अग्नि (तत्सम) व आग (तद्भव) के मध्य का स्वरूप है।

 

  1. देशज शब्द- ऐसे शब्द जो किसी स्थान विशेष पर हो बोले तथा प्रयोग किये जाते हैं, देशज शब्द साथ कहलाते है। जैसे-गड़बड़, टन-टन, सायँ-सायँ, झंझट, ठेठ, लोटा, पगड़ी आदि देशज शब्द है।
  2. विदेशी (आगत) शब्द- ऐसे शब्द जो विदेशी है, लेकिन हिन्दी भाषा में इस तरह प्रयुक्त हो गये है कि उनका हिन्दी से पृथक् अस्तित्व दिखायी नहीं देता। जैसे-अंग्रेजी, अरबी, फारसी, तुकी तथा पुर्तगाली भाषा के शब्द।

हिन्दी में फारसी शब्दों की संख्या लगभग 3500, अरबी शब्दों की संख्या लगभग 2500 तथा अग्रेजी शब्दों की संख्या लगभग 3000 है।

(a) अंग्रेजी- वातावरण तथा समय के अनुसार इन शब्दों का प्रभाव हिन्दी भाषा पर पड़ा है; जैसे-गार्ड, ऑफिस, स्टेशन, मनी आर्डर, पोस्टकार्ड, पार्सल, टिकट, बुक, स्कूटर, चॉकलेट, बिस्कुट, टोपी लाउज, कय प्लेट, जग, रेट कालर, लाइबेरी, पेपर, डिपटी, पुलिस मजिस्ट्रेट, कोर्ट, अपील, डॉक्टर, मलेरिया, कोट, साइकिल, पार्सल इत्यादि।

(b) फारसी-आफत, आबरू, आराम, आमदनी. आगाज, बारा, उम्मीद, तुवा, खामोश, खुराक, गरम, ताजा, तेज, वगल, दीवार, दुकान, नापाक, परदा, पुल, बारिश, युवार, मजा, तेज, दगल, नापसव, सरकार, जलेबी, गिरफ्तार, मजदूर, गज आदि।

(c) अरबी-हौसला, लिफाफा, मुकदमा, मौसम, वारिस, हक, हाजिर, हलवाई, फिक्र, शादी, नापसन्द, तेज, जिन्दगी, जलेबी, आवरू, आतिशबाजी, आराम, उस्ताद, युवा, गिरफ्तार, कमीना, तमाशा. दुकान, चालाक, कारीगर, गुलाब, मकान, सितार इत्यादि।

(d) तुर्की-स्कूल, लाइबेरी, पुलिस, गलीचा, कुली, कुर्ता, चम्मच, लाश, बीबी, बारूद, सौगात, ताश, काबू, तोप इत्यादि ।

(c) पुर्तगाली-अलमारी, इस्पात कमीज, कमरा. कर्नल, काफी, काजू, गमला, गोदाम, चाबी, तौलिया, पपीता, संतरा इत्यादि।

  1. संकर (मिश्रित) शब्द-हिन्दी में ऐसे भी शब्द है, जो दो भाषओं के शब्दों के मेल से बन गये हैं, नीचे देखें-

(a) संस्कृत और हिन्दी के शब्यों के मेल से निर्मित- उप बोली, भोजन-गाड़ी, रात्रि-उड़ान आदि।

(b) संस्कृत और फारसी के शब्दों के मेल से निर्मित- विज्ञापनबाजी, छायादार, लोकशाही आदि।

(c) फारसी और हिन्दी भाषा के शब्दों के मेल से निर्मित- कमर-पट्टी, खरीदना, जेब-कतरा, बेडौल आदि।

(d) अरबी और हिन्दी-अखबारवाला, अजायबघर, आम चुनाव, हवा-चक्की, मालगाड़ी, किताबघर, कलमचोर आदि।

(e) तुर्की और हिन्दी-तोप-गाड़ी, तोप-तलवार आदि।

(f) अरबी और फारसी-अकलमन्द, गोताखोर, तहसीलदार, फिजूल-खर्च आदि।

(g) हिन्दी और फारसी- कटोरदान, चमकदार, मसालेदार, किरायेदार, छापाखाना, थानेदार, पंचायतनामा आदि।

(h) अंग्रेजी और हिन्दी-टिकट-घर, डबलरोटी, रेलगाड़ी, अलार्म-घड़ी,  सिनेमा-घर, रेलवे-भाड़ा. पुलिस-चौकी, डाक-घर आदि।

(i) हिन्दी और अंग्रेजी- कपड़ा-मिल, जाँच-कमीशन, लाठी-चार्ज आदि।

(j) अंग्रेजी और फारसी- जेलखाना, सील-बन्द आदि।

(k) अंग्रेजी और संस्कृत- ऑफिस-कर्मचारी, टैंकयुद्ध, मशीनीकरण, रेल-विभाग, फिल्म-उत्सव आदि।

(l) अंग्रेजी और अरबी-पॉकेट-खर्च, सिनेमा-शौकीन, सिविल नाफरमानी आदि।

तत्सम तद्भव
अज्ञान अजान
अर्पण अरपन
अंधकार अधियारा
अकथ्य अकथ
अग्निनिष्ठका अंगीठी
अहि-फेन अफीम
स्तुति अस्तुति
अष्टादश अठारह
अर्द्ध अद्धा, आधा
आत्मन् अपना
अंगुष्ठिका अंगूठी
अग्रहायण अगहन
आशीष असीस
अगम्य अगम
अश्रु आँसू
अक्षर अच्छर/आखर
अन्यत्र अनत
अन्न अनाज
आर्द्रक अदरक
आकाश अकास
अंजलि अँजुली
अंगप्रौछा अँगोछा
अमावस्या अमावस
आश्चर्य अचरज
एकल अकेला
हड्डी अस्थि
आभीर अहिर
अगणित अनगिनत
अनार्य अनाड़ी
आखेट अहेर
अग्रणी अगुवा
अंगुलि अंगुरी
अधर्म अधरम
अस्नेह अनेह
अलग्न अलग
अट्टालिका अटारी
अक्षोम अछोह
अमृत अमिय
अगम्य अगम
आम्रचूर्ण अमचूर
अगम्य अगम
अमूल्य अमोल
अक्षोट अखरोट
अग्रणी अँगाड़ी
अंकुर अँखुआ
अंगुष्ठ अँगूठा
अक्षवाट अखाड़ा
अनर्थ अनरथ
अनशन अनसन अगुआ
अग्रपद अगुआ
अपादहस्त अपाहिज
अपठ अपद
अंगिका अंगिया
आचमन अचवन
अन्यत्र अनत
अनुत्थ अनिता
अर्क अरक
आषाढ असाद
यवनिका अजवाइन
अलक्षण अलच्छन
अंश अंस
अलवण अलोना
अक्षत आखत
काक कौवा
कणिका किनकी
क्लेश कलेश
कूर्चिका कूची
क्षीर खीर
क्षेत्र खेत
खनि खान
कास खाँसी
खर्जूर खजूर
क्षेत्री खेती
क्षार खार
खट्वा खाट
क्षत्रिय खत्री
खर्पर खष्पर
ग्रीष्म गर्मी
गोमय गोबर
गणन गिनना
ग्राम गाँव
गर्त गड्ढा
गोधूम गेहूँ
गौर गोरा
गलन गलना
गमन गौना
कंदुक गेंद
गणेश गनेश
गर्दभ गधा
गात्र गात
गुण गुन
घट घड़ा
घोटक घोड़ा
चन्द्रिका चाँदनी
चक चाक
चित्रकार चितेरा
चतुष्पद चौपाया
चूर्ण चूना
चरण चरन
छाया छाँह
छत्र छाता
छिद्र छेद
क्षोभ छोह
जन्म जनम
योगी जोगी
मिष्टि मिठाई
महार्घ महँगा
मिष्ट मीठा
मरण मरना
मार्गण माँगना
मुद्ग मूंग
मधूक महुआ
महापात्र महावत
मक्षिका मक्खी
मनुष्य मानुस
मरण मरना
मृत्तिका मिट्टी
मंडन मदना
मृत्यु मौत
मस्तक माथा
मुषल मूसल
मण्डप मँडुआ
मुख मुँह
मुख्य मुखिया
मृत मुआ
मत्सर मच्छर
मध्यम मुझे
माता माँ
मुष्ठि मुट्ठी
मत्स्य मछली
मुंड मूंड
मंत्रकारी मदारी
यंत्र यच्छ
अत्र यहाँ
राजपुत्र राजपूत
रजनी रैन
ऋक्ष रीछ
रज्जु रस्सी
रक्षण रखना

 

Important Topics Of Hindi Grammar (Links)
हिन्दी भाषा का विकास वर्ण विचार संधि
शब्द विचार संज्ञा सर्वनाम , विशेषण
क्रिया लिंग वचन
कारक काल पर्यायवाची शब्द
विलोम शब्द श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द एकार्थी शब्द
अनेकार्थी शब्द उपसर्ग एंव प्रत्यय समास
वाक्य वाक्यांश के लिए एक शब्द वाच्य
मुहावरे एंव लकोक्तियाँ अलंकार रस
छंद अव्यय
Share on:

Disclaimer

Due care has been taken to ensure that the information provided in शब्द विचार Etymology किसे कहते हैं is correct. However, Preprise bear no responsibility for any damage resulting from any inadvertent omission or inaccuracy in the content. If the download link of शब्द विचार Etymology किसे कहते हैं is not working or you faced any other problem with it, please REPORT IT by selecting the appropriate action. Help us to improve Preprise.com: Contact us.
[elementor-template id="110450"]

DID YOU SEE THESE?

[elementor-template id="125095"]